एको दृष्टासी सर्वस्य

अष्टावक्र कहते हैं एको दृष्टासी सर्वस्य । अर्थात तू सर्व का दृष्टा है । तू सर्वदा मुक्त है । तेरा बंधन तो यह है कि तू स्वयं को छोड़ दूसरों को दृष्टा देखता है । व्यक्ति दृश्य नहीं दृष्टा है। दृष्टा वह है जिसकी दृष्टि स्वयं पर है। यदि व्यक्ति दूसरों की आंखों का दर्पण…