वर्तमान में जीना और सृजनात्मकता।

जो करें अपना पूरा उसमें दे दें। हम जो भी कर रहे हैं हम वही नहीं हैं। अगर आप क्रोध करते वक्त पूरा क्रोध बन जाए तो शायद दुबारा क्रोध न करें। शक्ति को संग्रह किए बिना कोई भी सफलता असंभव है ,चाहे वह भीतर ध्यान की यात्रा की कामना हो या धन प्राप्ति की।…