क्षितिज

इस पृथ्वी पर हम वस्तुतः है नहीं। हमारे होने का हमें आभास होता है क्योंकि देह ने घर कर लिया है मगर देह हमारा घर नहीं। हमारा स्वभाव आत्मा का है- आकाश का। शरीर है पृथ्वी, आत्मा है आकाश। हम शरीर और आत्मा का बेजोड़ मिलन है। पृथ्वी और आकाश आभासित तो होते हैं कि…