अहंकार

अहंकार है अस्तित्व से स्वयं को अलग मानकर जीना। मैं हूं सत्य और यह जो प्रकृति में सब दिखाई दे रहा है वह सब माया है। यह झरने, पशु पक्षी आकाश ,चांद -तारे यह सब माया है मगर मैं सत्य हूं। मगर मजा यह है कि यह सब सत्य है और मैं माया हूं। लेकिन…