विचार और दर्शन

ज्ञान का जन्म विचारों की शून्यता के बाद होता है। शून्यता के अनुभव में से जो आपके भीतर से प्रकट हो वही वास्तविक ‘ ज्ञान’ है। बाहर के ग्रंथों से सुना पढ़ा ज्ञान तो आपको ‘ज्ञानी’ होने का धोखा दे सकता है। विचार और दर्शन दो विरोधी घटनाएं हैं। विचार चेतना को ढके हुए हैं।…