क्या जगत मिथ्या है ?

सत्य की कोई परिभाषा नहीं हो सकती। जो परिभाषित किया जा सके वह सत्य नहीं हो सकता ! जो शब्दों के परे है, जो अनिर्वचनीय हैं वही सत्य है । सत्य शब्दातीत है,मनातित है। सत्य अनुभव है, जो मन के अतिक्रमण के बाद अनुभव में आता है। निर्विचार की वह अवस्था जहां मन न हो,…