Denial of the Inner

Don’t take Life Seriously. It is just a Drama. Nothing less, nothing more. When you tend to take life seriously, you get disassociated with the Inner Self. Denial of the Inner core creates an artificial center of Existence. Since this center never existed nor can ever exist, it is bound to be a Pseudo Centre.…

ठहरो और पा लो

अपने चारों ओर नजर घुमाओ । लोग भागते हुए नजर आएंगे। जरा उन्हें रोककर कोई पूछे भाई क्यों भाग रहे हो ? उससे जवाब ना पा सकोगे ! व्यक्ति सुबह से शाम तक बेमतलब से भागा जा रहा है। कोई दो कमरे के मकान में रह रहा है , खुश है मगर भाग रहा है।…

ऊर्जा

दो ही रास्ते हैं ऊर्जा के बहाव के लिए। एक तो है जब आप अपनी जीवन ऊर्जा शरीर और मन के माध्यम से विनाश की ओर ले जाएं। और दूसरा है कि जब आप उसी उर्जा को दिशा दे, आत्मा की ओर मोडे। जब आप अपनी उर्जा को शरीर और मन के द्वारा व्यय करते…

आनंद

परमात्मा की तरफ जाने का प्रथम कदम है पूर्णतः शांत होने की अवस्था में आ जाना। जब मन अकम्प हो जाता है तब जो अनुभव है वही है परमात्मा। हमारा चित् इसलिए शांत नहीं होता क्योंकि चित् में कुछ पाने की, कुछ करने की वासनाएं उमड़ती रहती है। जब तक चित् वासनाओं तो से मुक्त…

SILENT TRANSFORMATION

Khalil Gibran quotes that before entering the sea a river trembles with fear. River looks back at the end from where she has travelled from the peaks of the mountains, the long winding road, crossing forests & villages. And in front of her, she sees an ocean so vast, that to enter there seems nothing…

DISCIPLE AND MASTER

Discipleship is the most unheard yet most Divine Blessing for the seeker of TRUTH. It is a 360° Transformational process from being a mind cultivated personality to the blossoming of a truly intrinsic ‘beingness’. Discipleship can be a joyous intimacy & a loving warmth for a disciple or it can also be a nourishment to…

द्वंद

व्यक्ति विकास की यात्रा चार चरणों में से होकर गुजरती है। पहला चरण है- नकारात्मकता, दूसरा चरण है- सकारात्मकत, तीसरा है- नकारात्मकता और सकारात्मकता के बीच संतुलन कायम करना और चौथा है- तीनों चरणों से मुक्ति अर्थात साक्षी भाव में स्थित हो जाना। जिसको अध्यात्म के ऋषियों ने मोक्ष, निर्वाण या बुद्धत्व कहा है। अक्सर…

The Biggest Gift

The biggest gift any parent can give to his child is to convince, explain and motivate them to sit in meditation at least for an hour everyday. This gift to the child is basically a gift to the whole mankind. Every child is the future. Unless and until we nurture the child through the seeds…

मृत्यु

जीवन के मूल सत्य का एक गहन पहलू है मृत्यु। जन्म के साथ मृत्यु लिख दी गई है। जो सत्य है उसे पूरे जीवन भर व्यक्ति नकारता जाता है बेहोशी वश। यह पता होते हुए भी कि शमशान उसका अंतिम ठिकाना है वह उसी के भय में जीता है। वह जीवन को नहीं जीता मगर…